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ट्राइकोडर्मा का खेती मे महत्व - Trichoderma ka upyog kaise karen

     किसान भाईयो खेती मे फफूंद की समस्या होती रहती है और लगभग सभी किसान भाईयो इस समस्या से परेशान रहते है. जिसकी वजह से किसान भाई अपनी फसलों को फफूंद से बचाने के लिए कई तरह की रासायनिक दवाओं का उपयोग करते है, जो मार्केट में बहोत ही महंगी मिलती है और यह दवाओं का उपयोग करने के बाद भी किसी ना किसी रूप से फफूंद का प्रभाव फसल मे रेह ही जाता है.

   
      किसान भाईयो आज के यह लेख मे हम ट्राइकोडर्मा क्या है, ट्राइकोडर्मा काम कैसे करता है, ट्राइकोडर्मा पाउडर का उपयोग कैसे करें, ट्राइकोडर्मा के फायदे, ट्राइकोडर्मा कैसे बनाया जाता हैट्राइकोडर्मा के प्रयोग के समय क्या सावधानियां रखे और  ट्राइकोडर्मा की कीमत कितनी है आदि विषय पर चर्चा करेंगे.

      किसान भाईयो आज हम आपके लिए Trichoderma uses in hindi जैविक फफूंद नाशक के बारे में जानकारी देनेकी कोशिश करेंगे जो आपके खेत के लिए लाभदायक तो है पर उसकी कीमत भी रासायनिक दवाओं से बहुत कम है और उससे कई ज्यादा असरकारक है.

How is Trichoderma used in agriculture

ट्राइकोडर्मा क्या है - What is trichoderma viride 

     ट्राइकोडर्मा एक अरोगकराक मृदोप जिवी कवक है. यह पौधों के राइजोसफियार (जड़ विनाश क्षेत्र) मे बड़ी ख़ामोशी से काम करने वाला सूक्ष्म कवक है, यह एक जैविक फफूंदनाशी है जो विभिन्न तरह की फफूंद बीमारियों को रोकने का काम करता है.एक उदाहरण से समझें तो यह एक शक्तिशाली राजा है जो कमजोर राजा को हराकर मार देता है.

     ट्राइकोडर्मा की दो प्रजातियां किसान भाईयो मे सबसे ज्यादा प्रचलित है, 1 ट्राईकोडर्मा विरिडी 2 ट्राईकोडर्मा हर्बियानम. यह एक जैविक कवकनाशी होने की वजह से पर्यावरण को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता है.

ट्राइकोडर्मा काम कैसे करता है - How does trichoderma work

    ट्राइकोडर्मा पोधो की जड़ों के सतह पर उगते है, जो पौधों को रोग से बचाता है और पौधों की जड़ों को वृद्धि करने मे मदद करता है. ट्राइकोडर्मा इजाइम का स्राव करके अन्य कवक की कोशिका दीवाल को डिसोल्व कर देता है. ट्राइकोडर्मा को थोड़ा सा ही लगाना होता है, जिससे वह लगातार बढ़ कर पौधों की जड़ों को ढकने का काम करता है और यह पूरे बढ़ते मौसम मे सभी जड़ों को रक्षण देता है.

     ट्राइकोडर्मा मुख्य दो तरीको से पौधों के विकास में सुधार करता है, पहला यह पौधों की जड़ों को सड़ाने वाले कवक को मारता है और दूसरा यह पौधों की जड़ों में कुछ शारीरिक तनाव से बचाव करता है, जिसकी वजह से पौधों के जड़ों की वृद्धि तेजी से होती है. 



ट्राइकोडर्मा पाउडर का उपयोग कैसे करें - How do you use Trichoderma

- ट्राइकोडर्मा को एक लीटर पानी मे 10 ग्राम डालकर मिला लेना है बाद में यह सोल्यूशन मे कंद को लगभग 30 मिनिट के आसपास डूबा कर रखना है और फिर यह कंद को आधा घंटा छव मे रखने के बाद खेत में बुवाई करना है जिससे ज्यादा फायदा मिलता है.
- बीज उपचार (seed treatment with trichoderma) मे एक किलो बीज मे 5 से 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर को मिलाकर छाव मे सूखा लेना है और बाद में इसका बुवाई करना है.
- पौधा उपचार मे एक लीटर पानी में 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर को घोल देना है और बाद में यह घोल मे पौधे के जड़ वाले भाग को भीगना है और बुवाई करनी है.
- पौधे पर छिड़काव मे पौधों पर पर्ण चित्ती, झुलसा जैसे रोगों के लक्षण दिखाई देने पर 5 से 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर को एक लीटर पानी मे अच्छी तरह मिलाकर छिड़काव करना है.

ट्राइकोडर्मा के फायदे - Benefits of trichoderma

- ट्राइकोडर्मा आपकी फसल का बीज जनीत और मिट्टी जनीत रोगों से बचाव करता है.
- ट्राइकोडर्मा आपकी फसल मे पौधों की एंटीऑक्सिडेंट प्रक्रिया का बढ़ावा करती है, जिसकी वजह से आपकी फसल की वृद्धि अच्छी तरह से होती है.
- यह फसल मे पोषक तत्वों को गुणवत्ता और खनिज तत्वों को बढ़ावा देती है.
- यह फसल मे रोगकराक जीवो को मारकर आपकी फसल को रोगमुक्त बनाने का काम करता है.
- यह आपकी फसल को सूखे में भी बढ़ने की क्षमता को बढ़ावा देती है.
- यह रासायनिक कीटनाशक जैसे कि ऑर्जनोफॉस्फेट, ऑर्जनॉक्लोरीन जैसे कार्बोनेट समूह को नष्ट करने की क्षमता रखता है.
- यह मिट्टी मे मोजूद कार्बनिक पदार्थो का अप घटन क्रिया को बढ़ावा देता है.
- ट्राइकोडर्मा के उपयोग करने पर मिट्टी मे मोजूद फसल के लिए लाभदायक सूक्ष्म जीवो पर किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं होता है.
- ट्राइकोडर्मा के उपयोग से किसान भाईयो को रासायनिक फफुंदनाशी दवाओं पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ती है.
- ट्राइकोडर्मा को National Certification For Organic Farming (NCOF) की तरफ से मान्यता मिली है.
- ट्राइकोडर्मा आपकी फसल की रोगप्रतिकराक क्षमता को बढ़ाता है.
- एक बायो फफूंदनाशी होने की वजह से यह पर्यावरण के लिए 100% सुरक्षित है, क्योंकि पर्यावरण मे इसका कोई दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिला है.
- एक प्रयोग मे ऐसा देखा गया है कि टमाटर की फसल मे जिस जगह पर ट्राइकोडर्मा को डाला गया है उस पौधों के फूलो की एंटीऑक्सिडेंट, खनिज तत्व और पोषक तत्वों की गुणवत्ता मे काफी सुधार आया है.

ट्राइकोडर्मा कैसे बनाया जाता है - How to make trichoderma 

- यह हम आपको नेशनल कृषि मेल के द्वारा दी गई जानकारी के मुजब ट्राइकोडर्मा बनानेकी विधी को दर्शाने का प्रयास करेंगे.किसान भाईयो को हमेशा ट्राइकोडर्मा बनाने से पहले जानकारों की सलाह जरूर लेनी चाहिए.
- ट्राइकोडर्मा को ग्रामीण घरेलू विधी से बनाने के लिए गोबर के उपले का उपयोग किया जाता है.
- सबसे पहले आपको अपने खेत में छायादार जगह पर 28 किलो या फिर 85 सूखे गोबर के उपलों को कूट कूट कर बारीक बना देना है.
- बाद में यह बारीक उपलों मे पानी मिलाकर हाथो से अच्छी तरह मिला देना है, जब तक उपलों का ढेर गढ़ा और भुरा दिखाई ना दे तबतक आपको मिलाते रहना है.
- अब उच्च कक्षा के ट्राइकोडर्मा के शुद्ध कल्चर 60ग्राम लेकर यह ढेर मे मिला देना है और एक पुराने जुट के बोरे से यह ढेर को अच्छी तरह से ढक देना है और बोरे को पानी से भिगो देना है.
- 15 दिन के बाद यह ढेर को फावड़े की मदद से नीचे तक अच्छी तरह से मिला देना है और फिर से बोरे से ढक देना है.
- लगभग एक महीने बाद आपको यह ढेर के ऊपर हरे रंग का कवक दिखाई देगा. अब आप यह ढेर का उपयोग मृदा उपचार के लिए कर सकते है.

ट्राईकोडर्मा के प्रयोग के समय क्या सावधानियां रखे 


- ट्राइकोडर्मा को हमेशा कृषिविज्ञान केंद्र या फिर प्रामाणिक संस्था से ही खरीदना चाहिए.
- 6 महीने से ज्यादा पुराने ट्राइकोडर्मा के कल्चर को खरीदना नहीं है क्योंकि इसकी समय सीमा एक साल के लिए ही होती है.
- ट्राइकोडर्मा को हमेशा छायादार स्थान पर ही रखे.
- ट्राइकोडर्मा के साथ किसी भी प्रकार की रासायनिक दावा का उपयोग न करें.
- ट्राइकोडर्मा का छिड़काव सुबह या शाम के समय है करे.
- ट्राइकोडर्मा के गुनान को लंबे समय तक रखने से नष्ट है जाता है.

FAQ

1. ट्राईकोडर्मा खेत में कैसे डाले ?
ANS :- प्रति एकड़ खेत में ट्राइकोडर्मा को एक किलो प्रति 100 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना फायदेमंद होता है.

2. ट्राईकोडर्मा कितने प्रकार के होते है ?
ANS :- 4 प्रकार के होते है. 

3. ट्राइकोडर्मा कोन से रोगों का नियंत्रण करता है ?
ANS :- 1.कपास मे उकठा, आंद्रपतन, बड़गलन विगलन 2. मगफली मे कालर राट 3.फूलो मे कार्म सड़न 4. अदरक मे प्रकंद वीगलन

4. ट्राइकोडर्मा की कीमत कितनी है ?
ANS :- तकरीबन 50 से 60 रुपए किलो.