सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन का परिचय - sardar vallabhbhai patel ka jivan parichay
Sardar Vallabhbhai Patel Biography In Hindi
स्वतंत्र भारत के पहले उपप्रधानमंत्री Sardar Vallabhbhai Patel को आज कोन नहीं जानता. सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के पहले गृहमंत्री और महान स्वतंत्र सेनानी थे. उन्होंने भारत के साथ सैकड़ों रियासतों का विलय किया था. उनको अविश्वस्नीय नितीगत दृढ़ता और कुशल कूटनीति के कारण ' लोहपुरुष ' का उपनाम दिया गया था.
तो चलिए आज सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन के जीवन के संघर्ष , उनके जीवन की महत्वपूर्ण बाते और भारत की आज़ादी में उनके योगदान के बारे में जानते है,
सरदार पटेल का जन्म और आरंभिक जीवन - Sardar Vallabhbhai Patel biography in hindi
सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31, ओक्टोम्बेर , 1875 में गुजरात के नडियाद जिल्ले में हुआ था, Sardar Vallabhbhai Patel के पिता का नाम झवेरभाई था और उनके माता का नाम लड्बाई था. वह अपने माता पिता के 4 संतान थे. उनके 3 बड़े भाई का नाम नरसिंह भाई, विठल भाई और सोमाभाई पटेल था और उनकी एक बहिन भी थी जिसका नाम डाहीबेन था. सरदार पटेल के पिताजी एक किसान थे. सरदार पटेल ने 1896 में अपनी हाई-स्कूल परीक्षा पास की। स्कूल के दिनों से ही वे पढ़ाई में विद्वान थे।
सरदार वल्लभभाई पटेल एक भारतीय बैरिस्टर और भारतीय राष्ट्रीय कोंग्रेस के राजनेता थे, और भारतीय गणराज्य के संस्थापक जनक भी थे. Sardar Vallabhbhai Patel एक सामाजिक कार्यकर्ता थे जिन्होंने देश की आज़ादी के लिऐ संघर्ष किया था, और देश को एकता के सूत्र में बांधने में उन्होंने काफी योगदान दिया था, उनका एक ही सपना थी की उन्भाहें भारतको एकता के सूत्रर में बंधना हे और भारत को आजाद करना हे.
सरदार वल्लभभाई पटेल की पत्नी - Sardar Vallabhbhai Patel Wife Name
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SARDAR VALLABHBHAI PATEL WITH WIFE |
तक़रीबन 16 साल की उम्र में सरदार वल्लभभाई पटेल विवाह झावेरबा के साथ कर दिया गया था पर उन्होंने कभी भी अपने विवाह को अपनी पढ़ाई के बीच में आने नहीं दिया था. 11 जनवरी 1909 में जब वे कोर्ट में केस लड़ रहे थे तो उस समय उन्हें अपनी पत्नी की मृत्यु का पत्र मिला। वह पत्र को पढ़कर उन्होंने इस प्रकार अपनी जेब में रख लिया जैसे कुछ हुआ ही ना हो, तकरीबन दो घंटे बाद जब उन्होंने वह केस जीत लिया.
केस जितने के बाद न्यायाधीश को जब यह खबर मिली कि सरदार वल्लभभाई पटेल की पत्नी का निधन हो गया है. तब सब लोगो ने इस बारे में पूछा तो सरदार ने कहा कि उस समय मैं अपना फर्ज निभा रहा था, जिसका शुल्क मेरे मुवक्कील ने न्याय के लिए मुझे दिया था , तो फिर मैं उनके साथ अन्याय नहीं कर सकता. एसे ही सरदार पटेल अपना कर्तव्य पूरी ईमानदारी और हिम्मत से पूरा करने का कलेजा रखते थे.
सरदार वल्लभभाई पटेल का खेड़ा संघर्ष - Sardar Vallabhbhai Patel kheda Satyagrah
1918 में गुजरात का खेड़ा खंड भयंकर सूखे की चपेट में आ गया था, और किसानों ने उन दिनों अंग्रेज सरकार से कर माफी की मांग की थी जब अंग्रेज सरकार के द्वारा कर में छूट नहीं दी गई तब Sardar Vallabhbhai Patel , Gandhiji और दूसरे लोगो ने किसान का नेतृत्व किया और उन किसानों को कर ना देने के लिए प्रेरित किया और अंत मा सरकार को झुकना पड़ा और उस साल कर देने में कुछ मात्रा में राहत दी गई , Sardar Vallabhbhai Patel का खेड़ा संघर्ष में सबसे पहला योगदान था , और उनकी पहली सफलता थी.
लौह पुरुष की उपाधि किसने और क्यों दी ? - Sardar Patel Nikename
1928 में गुजरात में एक प्रमुख आंदोलन हुआ था जिसे बारडोली सत्याग्रह के नाम से भी जाना जाता है. बारडोली सत्याग्रह का नेतृत्व Sardar Vallabhbhai Patel के द्वारा किया गया था, उस समय अंग्रेज सरकार के द्वारा किसानों के कर में तकरीबन तीस प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी गई थी, Sardar Patel ने इस कर वृद्धि का जमकर विरोध किया था, ब्रिटिश सरकार ने इस सत्याग्रह अंदोलान को बंद करने के लिए कठोर से कठोर कदम उठाए थे पर अंत में अंग्रेज सरकार को हार मानकर किसानों की मांगों को मानना पड़ा था और सम्पूर्ण मामले कि जाच करने के बाद 22 प्रतिशत कर को वृद्धि को गलत ठहराते हुए इसे घटा कर 6.03 प्रतिशत कर दिया गया था.
बारडोली सत्याग्रह के सफल होने के बाद वहा की महिलाओं ने Vallabhbhai Patel को ‘सरदार’ का उपनाम प्रदान किया गया था. संघर्ष एवं राष्ट्रीय स्वाधीनता संग्राम के अंर्तसबंधों की व्याख्या बारडोली संघर्स के संदर्भ में करते हुए Gandhiji ने कहा कि इस तरह का हर संघर्ष, हर कोशिश हमें स्वराज के करीब पहुंचा रही है और हम सबको स्वराज की मंजिल तक पहुंचाने में ये संघर्ष सीधे स्वराज के लिए संघर्ष से कहीं ज्यादा सहायक हो सकता हैं.
सरदार वल्लभभाई पटेल की मृत्यु ? - Sardar Vallabhbhai Patel Death
Gandhiji की मृत्यु हो जाने के बाद Sardar vallabhbhai Patel को बहोत गहरा सदमा पहुंचा था. और उनको दिल का दौरा पड़ा, लेकिन फिर वे ठीक हो गए हालाँकि वे अपने गुरु की मृत्यु के शोक से अब तक निकल नहीं पाए थे. किन्तु उन्होंने अपने आप को संभाला और वे स्वतंत्रता के बाद भारत के पहले उप प्रधानमंत्री बने और इसके साथ ही उन्हें गृह मंत्री पद पर भी नियुक्त किया गया. 1950 में Sardar Vallabhbhai Patel death स्वास्थ्य ख़राब रहने लगा. उन्हें यह लगने लगा कि वे अब ज्यादा समय तक नहीं जी पायेंगे. सरदार की मृत्यु के कुछ दिन पहले ही उनका स्वास्थ्य ज्यादा ख़राब हो गया, और वे बिस्तर पर ही सीमित हो गये. इसके बाद 15 दिसंबर को उन्हें फिर से बड़े रूप में दिल का दौरा पड़ा और भारत की एक महान आत्मा का निधन हो गया ,और मृत्यु के 40 साल बाद उन्हें इंडिया का सबसे बड़ा सम्मान ‘भारत रत्न’ दिया गया.
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