-->

मोती की खेती कैसे करे | Pearl Farming in hindi

   मोती एक प्राकृतिक रत्न है जो की हमे सीप से प्राप्त होता है। जो की लाखो की कमाई कराने वाली खेती के रूप में जानी जाती है.


सीप (Moti Farming) की खेती

   दुनियाभर के साथ साथ भारत में भी मोतियों की माँग दिन पे बढती जा रही है, परन्तु दोहन और प्रदूषण की वजह से इनकी संख्या में गिरावट दिन पे दिन आ रही है | देश में इनकी कमी को देखते हुए हर साल हमे मोतियों की एक बड़ी मात्रा को आयात करना होता है.

मोती की खेती करने की विधि

   सरकार द्वारा देश भर में पर्ल कल्चर तकनीक का प्रशिक्षण देकर मोती की खेती को बढावा दिया जा रहा है जिसका ही परिणाम है की देश में कई जागरूक किसान है जो अब अच्छी आमदनी कर रहे है.

मोती की खेती

   विश्व में मोती उत्पादन में सबसे अग्रणी चीन तथा जापान एवंम भारत में मोती सबसे आधिक दक्षिण भारत के तमिलनाडू राज्य के ततूतीकेरन तथा बिहार के दरभंगा जिले से प्राप्त होते है.

मोती के प्रकार

► केवीटी

► गोनट

► मेंटलटीसू

निशुल्क पर्ल कल्चर प्रशिक्षण केंद

   20,000 करोड़ से भी आधिक के कारोबार वाला मोती का पर्ल कल्चर प्रशिक्षण केंद देश में कई है परन्तु देश भर में अगर निशुल्क पर्ल कल्चर प्रशिक्षण केंद की बात करे अभी वो केवल एक है जो की सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्‍वाकल्‍चर, भुवनेश्‍वर में है.

   जहा पर ताजे पानी से मोती बनाने की तकनीक का निशुल्क 15 दिनों की ट्रेनिंग दी जाती है, जिसमें सर्जरी समेत सभी कुछ सिखाया जाता है.

   जो की भारत सरकार द्वारा चलाये जा रहे इंडियर काउंसिल फॉर एग्रीकल्‍चर रिसर्च के तहत स्थापित है.

मोती की खेती कब करे 

   मोती की खेती के लिए सबसे अनुकूल समय शरद ऋतु के समय का माना जाता है जिसमे की हम अक्टूबर महीने से लेकर दिसंबर तक ये कार्य कर सकते है.

मोती कैसे बनता है 

   वैसे तो मोती का बनना पूरी तरह से एक प्राकृतिक प्रकिया है जिसमे की मोती का निर्माण उस समय होता है जब सीप में बाहर से मोजूद कण जैसे रेत, कीट आदि प्रवेश कर जाते हैं जो की वापस बहार नही निकल पाते है और इस तरह से चमकदार परते जमा होती जाती हैं। जो की कुछ समय अन्तराल बाद मोती की शक्ल में तब्दील हो जाता है.

हम इसी तकनीक का उपयोग कर मोती की खेती में भी इस्तमाल करते है.

मोती उत्पादन का कार्य कुल 6 प्रमुख चरण में होता है

1. सबसे पहला कार्य अच्छी किस्म के सीपों को इकट्ठा करना,

2. दूसरा इन्हें इस्तमाल करने के अनुकूल बनाना,

3. सर्जरी,

4. देखभाल,

5. तालाब में उपजाना और

6. मोतियों का उत्पादन

सीप कहा मिलती है

अच्छी किस्म के सीपों को इकट्ठा करना

   सबसे पहला काम हमे सीपो को इकट्ठा करना है जो की हम किसी भी तालाब या नदी से कर सकते है इसके अलावा हम इन्हें बाजार से भी खरीद सकते है किया जाता है और पानी के बरतन या बाल्टियों में रखा जाता है. इसका आदर्श आकार 8 सेंटी मीटर से ज्‍यादा होता है.

इस्तमाल से पहले सीपो को अनुकूल बनाना

   अब इन्ही सीपो को हमे 3 दिन के लिए तक किसी बर्तन में पुराने पानी में भर कर रख दिया जाता है जिससे ये सीप ढीली होने लगती है और इसमें की जाने वाली सर्जरी का काम आसान हो जाता है.

सर्जरी

   तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण चरण का कार्य इन सीप के अलग अलग हिस्सों जिनमे की सतह का केंद्र, और सतह की कोशिका की सर्जरी का काम किया जाता है. जिसके लिए हमे बीड या की आवश्यकता होती है ये सभी सीप और या दुसरे अन्य कैल्शियम युक्त सामग्री से बने हुए होते है.

   बड़ी हि साव्धानी से हम इन सीप के भीतर करीब 4 से 6 मिमी तक के व्यास वाले हमारी इक्छाअनुसार बीड जिनमे की कोई डिजाईन पुष्प पत्ती या फिर कोइ अन्य साईं बाबा ,गणेशजी, बुद्ध, जैसी आकृति को डाल कर बंद कर दिया जाता है.

देखभाल

   अब काम शुरू होता है इन सीपो के निरीक्षण का जो की नायलॉन बैग में 10 दिनों तक एंटी-बायोटिक और प्राकृतिक चारे पर रखा जाता है. हर दिन देखभाल कर के हमे इसमें मोजूद मृत सीपों को बहार निकलना होता है.

तालाब में पालन

   नायलॉन के एक बैग में 2 सीप भर कर इन्हें बाँस या फिर पीवीसी की पाइप से लटका दिया जाता है और तालाब में एक मीटर की गहराई पर छोड़ दिया जाता है.

मोती का उत्पादन

   पालन अवधि लगभग 8-10 माह ख़त्म हो जाने के बाद सीपों को निकाल लिया जाता है. अन्दर से निकलने वाला पदार्थ बीड के चारों ओर जमने लगता है जो अन्त में मोती का रूप लेता है. इस तरह हमे मोती मिलता है.

मोती की खेती करने का सफल तरीका

   खेती में हो रहे नुकसान को देख कर अब समय है हम परम्परागत चली आ रही खेती के साथ ही मोती की खेती कर अच्छी आमदनी कर सकते मोती की खेती में की गई मेहनत का परिणाम के लिए करीब 15 माह तक का लम्बा इंतजार करना होता है जो की बड़े धेर्य का कार्य है समय जितना ज्यादा दिया जायेगा उतनी ही मोती की गुणवत्ता हमे अच्छी मिलती है.

   10 रूपये से शुरू होने वाली सीप की कीमत 200 तक आधिकतम होती है जो की इससे बनने वाले मोती की कीमत के हजारो गुणा ज्यादा होती है जो की हजार रूपये से लाखो रूपये तक होती है जो की पूरी तरह मोती की गुणवता आकार और डिजाईन पर निर्भर करता है.

   एक रिपोर्ट के अनुसार मोती की खेती कर हम करीब 2 लाख रुपए का इन्वेस्ट कर करीब डेढ़ साल में कम से कम 18 लाख रुपए की तक की कमाई कर सकते है.

FAQ

Q-1 : एक मोती कितने का बिकता है ?
Ans : एक मोती का दाम लगभग 300 से 1700 रुपए तक का होता है.

Q-2 : मोती की खेती के लिए ट्रेनिंग कितने दिन की होती है ?
Ans : मोती की खेती के लिए 15 दिनों की ट्रेनिंग होती है.