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ईसबगोल की खेती : 10 हजार रूपए प्रति क्विंटल बिकता है ईसबगोल का दाना कमा सकते हैं अच्छा मुनाफा,जानिए कैसे

     किसान भाईयो के लिए ईसबगोल की खेती एक कम समय में ज्यादा उपज देने वाली खेती है. ईसबगोल की खेती हमारे देश में सालो से की जाती है. हमारे देश मे गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में सबसे ज्यादा इसकी खेती होती है.
     ईसबगोल की खेती एक औषधीय पौधे के रूप में की जाती है, यह पौधे का इस्तेमाल कई जात की बीमारियों के नियंत्रण मे किया जाता है. साथ ही मे इसका उपयोग आइसक्रीम और कई तरह के रंग रोगन बनाने मे भी होता है.

तापमान, मिट्टी की तैयारी और खेत की जुताई

     ईसबगोल की खेती के लिए ठंडी और शुष्क जलवायु अच्छी होती है, ईसबगोल की फसल के अंकुरण के लिए 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान और फसल के पकने के समय 30 से 35 डिग्री सेल्सियस का तापमान होना चाहिए. 
     यह फसल के लिए दोमट या बुलाई दोमट मिट्टी होनी चाहिए जिसमे जल निकास की अच्छी वयवस्था होनी चाहिए. ईसबगोल की खेती के लिए मिट्टी का पी.एच. 7 से 8 के बीच का होना जरूरी होता है. 
     इसकी खेती के लिए खेत में दो बार गहरी जुटाई करे और उसके बाद एक जुताई करने के बाद खेत को समतल करे. कम पैसो मे शुरू किये जाने वाला business ideas

बुवाई का तरीका 

     ईसबगोल की बुवाई लाइन मे की जाती है, इसमें पौधों के बीच का अंतर 5 सेमी होना चाहिए और लाइन से लाइन का अंतर 30 सेमी के आसपास का होना चाहिए.

उन्नत किस्में 

     ईसबगोल की खेती जवाहर ईसबगोल 4, R.I. 89, छाता, G.I. 2, निहारिका , H.I. 2, RI 1 और हरियाणा ईसबगोल 5 आदि ईसबगोल उन्नत किस्में है. जिसमे उपज आपको 10 से 15 क्विंटल प्रति एकड़ मिलेगी. खरगोश पालन का व्यवसाय शुरू कर कमाए लाखो

उर्वरक और खाद 

     ईसबगोल की फसल की बुवाई से पहले खेत में 5 से 6 टन गोबर का उपयोग करे और फसल की बुवाई के वक्त 25 किलो डी पी ए और 25 किलो पोटास प्रति एक एकड़ उपयोग कर सकते है.
     फसल की बुवाई के 45 दिनों के बाद खेत में 30 किलो प्रति एक एकड़ यूरिया का इस्तेमाल करे.

फसल सुरक्षा

रोग

उखटा - ईसबगोल की फसल मे यह रोग के लक्षण दिखाई देने पर आप कार्बेन्डाजिम का इस्तेमाल कर सकते है.
मृदुरोमिल आसिता - यह बीमारी के नियंत्रण के लिए आप मेतलेक्सिल+मेंकोजब दवाई का इस्तेमाल कर सकते है.

किट 

चेपा - ईसबगोल की फसल को यह किट से बचाने के लिए आप thiamethoxam 25 wg का इस्तेमाल कर सकते है.
सफेद सुंडी - फसल को इस किट से बचने के लिए आप क्लोरोपेरीफोस का उपयोग कर सकते है.

सिंचाई

     ईसबगोल की खेती के फसल की बुवाई के बाद तुरंत ही हल्की सिंचाई करना चाहिए जिससे बीज का अंकुरण अच्छे से हो जाए. ईसबगोल की फसल मे पहली सिंचाई 30 से 35 दिनों के बाद और दूसरी सिंचाई 70 दिनों के बाद करनी होती है. 

फसल की कटाई

     ईसबगोल की फसल 110 से 120 दिनों के अंदर एकदम अच्छे से पककर तैयार हो जाती है,आप बालियो को हाथो से मसलकर अंदर से दाने निकाल सकते है.