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टमाटर की खेती कैसे करें | Tomato Farming In Hindi

टमाटर की उन्नत खेती कैसे करें 

     टमाटर आमतौर पर ग्रीष्म में होनेवाली फसल है. इसके लिए गर्म और नरम मौसम की जरूरत पड़ती है. टमाटर का पौधा ज्यादा ठंड और उच्च नमी बर्दास्त नहीं कर सकता है. टमाटर का पौधे पर ज्यादा रोशनी से रंग, रंजकता और उत्पादकता पर प्रभाव पड़ता है.

     टमाटर के पौधे के विकास के लिए 10 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान उत्तम है और अगर अच्छी वृद्धि चाहते हो तो 21 से 25 डिग्री तापमान बहुत अच्छा माना गया है. टमाटर के बीज के विकास, अंकुरण, फल और फूल आने के लिए अलग अलग मौसम की विविधता चाहिए. इसका पौधे की 10 डिग्री से कम और 38 डिग्री से ज्यादा तापमान पर अपने विकास की गति धीमी हो जाती है.

     टमाटर का पौधा पाला को शहन नहीं कर पाता है और इस फसल को मध्यम स्तर कि बारिश की जरूरत होती है, और यह पौधा 21 से 23 डिग्री के मासिक तापमान पर अच्छा परिणाम देता है. टमाटर के फल पर ज्यादा पानी का दबाव और लंबे वक्त का सूखापन से ज्यादा दरार पैदा करता है.

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टमाटर की उन्नत किस्में

पंजाब छुहारा 

     यह पंजाब कृषि विश्व विद्यालय लुधियाना के द्वारा विकसित कि गई किस्म है, यह किस्म गर्मी के मौसम के लिए अति उत्तम होती है. यह किस्म का फल छुहारे के माफिक लंबा होता है, यह किस्म का फल पकने के बाद लाल और पीले रंग का दिखता है. 

पूसा रूबी

     यह किस्म का फल मध्यम आकर का गोल और पकने पर लाल रंग के होते है. पूसा रूबी किस्म पर संक्रमित रोग बहुत कम लगते है.

सोनाली

     यह किस्म महाराष्ट्र की कोकम कृषि विद्यापीठ दापोली से विशसित की गई है. यह किस्म को बैक्टेरियल रोधी भी कहा जाता है. यह किस्म का पौधा लगभग 70 सेमी ऊंचा और अधिक फैलने वाला होता है. इस किस्म से 400 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टर उपज प्राप्त होती है, यह किस्म बैक्टेरियल विल्ट ग्रसित क्षेत्रों के लिए ज्यादा लाभकारी है.

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अर्का सौरभ

     यह किस्म को भारतीय अनुसंधान हिसरागत्ता बेंगलुरु से विकसित की गई है. यह किस्म से लगभग 300 क्विंटल प्रति हेक्टर उपज मिल शक्ति है. यह किस्म से बड़े आकार के आकर्षक लाल रंग के फल मिलते है.

उत्कल दीप्ति

     यह किस्म को उड़ीसा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्व विद्यालय से विकसित की गई है, यह किस्म के फल का आकर मध्यम गोल होता है और इसके फल की संख्या 6 से 8 फल प्रति गुच्छे की होती है. यह किस्म की लगभग 400 क्विंटल प्रति हेक्टर उपज होती है.

पूसा शीतल

     यह किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद दिल्ली से विकसित की गई है. यह किस्म को 8 डिग्री सेल्सियस तक कि ठंड वाली जगह पर आसानी से इस्तेमाल की जाती है. इस किस्म का पौधा लगभग 60 सेमी के आसपास तक ऊंचा होता है. यह किस्म से प्रति हेक्टर 350 से 370 क्विंटल तक कि उपज होती है.

जवाहर टमाटर 99

     यह किस्म के फल एक साथ पक्ते है और जल्दी आते है. यह किस्म के फल का आकर मध्यम, बड़ा और गोल होता है. यह किस्म की उपज प्रति एकड़ 275 से 300 क्विंटल की होती है.

उत्कल पल्लवी

     यह किस्म बैक्टेरियल विल्ट रोधी और 80 से 90 दिनों की अवधि की फसल है. यह किस्म की उपज लगभग 375 क्विंटल प्रति हेक्टर मिलती है. यह किस्म का फल छोटे मध्यम आकर के होते है.

अन्य किस्में जैसे कि उत्कल उर्वशी, उत्कल राजा, उत्कल गायत्री से भी अच्छी उपज मिलती है और यह किस्में बैक्टेरियल विल्ट अवरोधी है.

टमाटर की खेती के लिए मिट्टी

     टमाटर की फसल सामान्य तौर पर पीएच और क्षारीयता कि ज्यादा मात्रा हो सेह लेती है. इसकी खेती के लिए 5.5 से 7 का ph सामान्य होता है. टमाटर की खेती के लिए मिट्टी का ऊपरी हिस्सा थोड़ा बलुई और उससे नीचे के लेयर की मिट्टी अच्छी गुणवत्ता वाली होनी चाहिए. 

     खारी मिट्टी वाली जमीन मे अच्छे से जड़ को पकड़ के लिए और बेहतर उपज के लिए गहरी जुताई जरूरी होती है. खनीज्य मिट्टी और चिकनी मिट्टी मे टमाटर की खेती अच्छी होती है पर टमाटर की खेती के लिए सबसे अच्छी मिट्टी जल निकासी वाली होनी चाहिए.

     ज्यादा आंद्रता और पोषक्तात्व से रहित उच्च कार्बनिक तत्वों वाली मिट्टी इसकी खेती के लिए अच्छी नहीं होती है, पर अगर को खनिज तत्वों वाली मिट्टी मे कार्बनिक पदार्थ मिल जाए तो फिर अच्छा परिणाम मिलता है.

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टमाटर की खेती के लिए बीज चयन 

➡️ टमाटर खेती के लिए आकर मे एक समान, मजबूत और जल्द अंकुरण वाली बीज को बुवाई के लिए चुना जाता है.

➡️ बीज के उत्पादन के बाद बचे खराब और टूटे बीज को छांट लिया जाता है.

➡️ टमाटर की खेती मे बुवाई के लिए चुना गया बीज उत्तम किस्म का होना चाहिए.

➡️ चुना गया बीज विपरीत मौसम को सेह ले और जल्दी और अच्छी फसल दे ऐसा होना चाहिए.

टमाटर बुवाई का वक्त 

     देश के उतरी मैदानों में टमाटर की 3 फसलें होती है, जुलाई में खरीफ फसल, अक्टुबर से नवम्बर तक रबी फसल और फरवरी के महीने में जायद फसल की उपजाई की जाती है.

     देश के दक्षिणी मैदानों वाले इलाकों में टमाटर की पहली बुवाई दिसंबर जनवरी में की जाती है. दूसरी बुवाई जून जुलाई और तीसरी बुवाई सितम्बर से अक्टूबर में की जाती है.

     पहाड़ी इलाकों में बुवाई मार्च अप्रैल में कि जाती है और शरद ऋतु कि फसल के लिए जून जुलाई मे बुवाई की जाती है.

टमाटर की खेती के लिए खाद

     टमाटर की खेती मे पौधरोपण के पहले नाइट्रोजन की आधी मात्रा, पोटास की आधी मात्रा और फोसफर्स की पूरी मात्रा दी जाती है और उसके 20 से 25 दिन बाद नाइट्रोजन की एक चोथाई और पोटास की आधी मात्रा दी जाती है. और बाकी बची मात्रा पोधा रोपण के दो महीने बाद दी जाती है.

     टमाटर की खेती के लिए एनपी 2 ओ 75 kg, 5 रेशियो 40 kg और के2 ओ 25 kg प्रति हेक्टर खाद दिया जाता है. और 20 से 30 टन प्रति हेक्टेयर कम्पोस्ट को मिट्टी मे सही से मिला लेना चाहिए.

टमाटर खेती के लिए सही वक्त के लिए सिंचाई

     टमाटर की फसल मे वर्षा ऋतु के दौरान हल्की वर्षा की वजह से सिंचाई की कोई जरूरत नहीं होती है. ग्रीष्म मे जरूर होने पर हल्की सिंचाई की जाती है पर ज्यादा सिंचाई करने पर फसल पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है. 

     टमाटर की फसल मे ठंड के दिनों में 10 से 12 दिनों के अंतर में और गर्मी के वक्त 5 से 6 दिनों के अंतर मे ही सिंचाई की जाती है.

टमाटर की फसल का संरक्षण

किट 

     टमाटर की फसल मे माहु और फुदका किट का नियंत्रण करने के लिए imidocloprid 150 मिली प्रति हेक्टर या फिर dimethoate 30 ec को 50 मिली प्रति हेक्टर के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए.

     फल खाने वाले कीड़ों से बचने के लिए pymetrozine 50 wdg को 150 ग्राम या फिर फोसेलान 35 ईसी का 1000 मिली प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए.

बीमारियां

     टमाटर की फसल मे पत्तियों पर मतमैले भूरे रंग के धब्बों को रोकने के लिए जीनेव को 500 ग्राम प्रति हेक्टर 15 दिन के अंतर मे छिड़काव कर सकते है.

     अगर टमाटर का पौधा मुरझाकर सुख जाता है तो आप रोग ग्रस्त पौधों को उखाड़ कर फेंक दे. इसको बैक्टेरियल बिल्ट का आक्रमण कहते है.

     अगर फसल मे अफिड्स या थरिप्स का प्रकोप दिखाई दे तो तुरंत 15 दिनों के अंदर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करे.

टमाटर की समय पर तुड़ाई

➡️ टमाटर के फल की तुड़ाई उसके उपयोग से अनुशार करनी चाहिए.

➡️ टमाटर के परिपक्व फल को दूर बाजार में भेजने के लिए या फिर घर में उपयोग के लिए तोड़ना चाहिए.

➡️ टमाटर के पिक स्टेज के फलों को तोड़कर तुरंत लोकल बाजार में बिकने के लिए भेज देना चाहिए.

FAQ

Q. टमाटर के पौधों के बीच कितनी दूरी होनी चाहिए ?

A. शरद ऋतु में 60 सेमी और ग्रीष्म ऋतु में 45 सेमी